DAUGHTERS : BESTEST GIFT EVER
बेटियाँ : अनमोल धन
माँ के कलेजे का टुकड़ा ,उसकी परछाई होती है बेटी। सबसे ज़्यादा भाईयो से लड़ती है बहना। पर अगर उसके भाई पर कोई ऊँगली भी उठा दे तो उसका पूरा बदला लेकर भाई की रक्षा करती है बहना ।सबसे ज़्यादा फसांती भी वही है और सबसे ज्यादा बचाती भी वही है।
वही घर पर हमेशा छोटी छोटी बातों पर भी झगड़ जाती है भाई से. सबसे ज़्यादा डांट भी यहीं खाती है.. जब इनकी कोई शिकायत करदे तो अपना मुंह फुला लेती है ये बेटी। पर कुछ भी कहो सबकी लाड़ली होती है. इनके बिना घर सुना सुना सा लगता है. इनकी चहल पहल से ,इनकी किलकारियों से,इनकी शरारतों से पूरा घर महकता रहता है। .तभी तो कहते है बिटियाँ बिना स्वर्ग अधूरा।
सबके दुखो को दूर करती है ,सभी की चिंता होती है इन्हे. सबकी ख़ुशी के लिए कभी कभी अपनी खुशियां भी न्यौछावर कर देती है..
भाई को आंच तक न आये यही मंगलकामनयो के साथ राखी त्यौहार और भाई दूज बनाती है। दुआ करती है उनकी उम्र भी उनके भाई को लग जाए। .
माँ -बाप की चिंता सबसे ज़्यादा इन्हें ही सताती है तभी खुद की शादी से दूर भागती है बेटियाँ। .
जब भी सुनती है अपनी विदाई के लिए तो आँखों से आँसुओ की गंगा बहाना शुरू कर देती है। .
और कहती है मुझे नहीं करनी अभी शादी ,,अभी मेरी उम्र ही क्या है. पहले भाई की शादी कर दो. बस मुंह फुला कर चली जाती है. और सबपर गुस्सा दिखाती है.
माँ -बाप की चिंता सबसे ज़्यादा इन्हें ही सताती है तभी खुद की शादी से दूर भागती है बेटियाँ। .
जब भी सुनती है अपनी विदाई के लिए तो आँखों से आँसुओ की गंगा बहाना शुरू कर देती है। .
और कहती है मुझे नहीं करनी अभी शादी ,,अभी मेरी उम्र ही क्या है. पहले भाई की शादी कर दो. बस मुंह फुला कर चली जाती है. और सबपर गुस्सा दिखाती है.
माँ का ये कहना की कुछ काम करना सिख ले आगे ससुराल मे जाकर क्या करेगी। .तब भी गुस्से से झल्ला कर कहती है नौकरानी रख लेंगे ससुराल वाले।
कभी कभी भाइयों से खुद की तुलना करती है ये बेटियाँ
.
विदाई के वक़्त :---.
आता है जब विदाई का वक़्त तो होठ सिल जाते है इनके, बस बहते है तो सिर्फ आँसू.
. यहीं कहते है क्यों करते हो मुझे पराया बाबुल। .मैं तो इसी आँगन में खेली हू.
..मेरा सारा बचपन यही बिता है। .क्यों आगे की ज़िन्दगी यहाँ नहीं बिता सकती। .
क्यों बनाया ऐसा रिवाज़ पापा। क्यों कर रहे हो अपनी लाड़ली को खुद यहाँ से पराया।
सोचती हूँ आज कितना अजीब मंजर है.
छोड़ कर जाना मुझे अपना ही ये घर है.
अब आना होगा अपने ही घर मे मेहमान बनकर
कुछ पलों मे वापिस लौट जाने के लिए।
वो भाई जो हमेशा मुझसे लड़ते थे ,आज उनकी भी नज़रे झुकी और आँख नाम है.
" मेरी माँ जो हमेशा मेरी शादी की बात करती थी. ,आज आँखों के साथ साथ रोती उसकी हर धड़कन है "
पापा जो कभी बहुत डांटते थे ,काफ़ी पाबंदिया लगाते थे, आज झुका उनका भी सर है.
पापा जो कभी बहुत डांटते थे ,काफ़ी पाबंदिया लगाते थे, आज झुका उनका भी सर है.
ख़ुशी या ग़म :-----
सबकी बाते कह दी मैंने पर मेरा क्या हाल था ये किसी ने न जाना
सोच कर ख़ुश हूँ ,आज पूरा हुआ मेरी शादी का अरमान है
एक तरफ ख़ुशी तो , एक तरफ ग़म का फ़रमान हैं ''
सोच कर ख़ुश हूँ ,आज पूरा हुआ मेरी शादी का अरमान है
एक तरफ ख़ुशी तो , एक तरफ ग़म का फ़रमान हैं ''
कल ससुराल चली जाऊँगी ,फिर सबकों बहुत याद आऊंगी
बहन -भाइयों से मिलने ,उनके साथ झगड़ने को तरस जाऊँगी
सुबह की चाय तेरे हाथ का खाना बहुत याद आएगा माँ
पापा का प्यार से गले लगाना बहुत सताएगा माँ ॥
छोड़ बाबुल का घर, पिया का घर बसाने चली
एक सफ़र हुआ खत्म ,दूसरा सफ़र शुरू करने चली !!
जो हुए है मेरे हमसफ़र ,अब साथ उनके बिताने अपनी पूरी ज़िन्दगी चली
अब उनका घर ही मेरा घर होगा, इस सोच के साथ घर अपना छोड़ चली !!
लाख समझाया दिल को मैंने ,पर मायके का मोह अभी तक न छूटा
क्यों बेटियाँ ही होती है परायी ,क्यों ऐसी रीत ख़ुदा तूने बनायीं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें