बुधवार, 8 जून 2016

TIME HAS CHANGED..

MEMORIES OF CHILDHOOD

गुलज़ार साहब की कविता :-

जब मैं छोटा था,
शायद दुनिया
बहुत बड़ी हुआ करती थी..
मुझे याद है
मेरे घर से "स्कूल" तक का
वो रास्ता,
क्या क्या
नहीं था वहां,
चाट के ठेले,
जलेबी की दुकान,
बर्फ के गोले
सब कुछ,
अब वहां
"मोबाइल शॉप",
"विडियो पार्लर" हैं,
फिर भी
सब सूना है..
शायद
अब दुनिया
सिमट रही है...

.
.
.
जब
मैं छोटा था,
शायद
शामें बहुत लम्बी
हुआ करती थीं...
मैं हाथ में
पतंग की डोर पकड़े,
घंटों उड़ा करता था,
वो लम्बी
"साइकिल रेस",
वो बचपन के खेल,
वो
हर शाम
थक के चूर हो जाना,
अब
शाम नहीं होती,
दिन ढलता है
और
सीधे रात हो जाती है.
शायद
वक्त सिमट रहा है..


जब
मैं छोटा था,
शायद दोस्ती
बहुत गहरी
हुआ करती थी,
दिन भर
वो हुजूम बनाकर
खेलना,
वो
दोस्तों के
घर का खाना,
वो
लड़कियों की
बातें,
वो
साथ रोना...
अब भी
मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती
जाने कहाँ है,
जब भी
"traffic signal"
पर मिलते हैं
"Hi" हो जाती है,
और
अपने अपने
रास्ते चल देते हैं,
होली,
दीवाली,
जन्मदिन,
नए साल पर
बस SMS आ जाते हैं,
शायद
अब रिश्ते
बदल रहें हैं..

जब
मैं छोटा था,
तब खेल भी
अजीब हुआ करते थे,
छुपन छुपाई,
लंगडी टांग,
पोषम पा,
टिप्पी टीपी टाप.
अब
internet, office,
से फुर्सत ही नहीं मिलती..
शायद
ज़िन्दगी
बदल रही है.

.
.
जिंदगी का
सबसे बड़ा सच
यही है..
जो अकसर
क़ब्रिस्तान के बाहर
बोर्ड पर
लिखा होता है...
"मंजिल तो
यही थी,
बस
जिंदगी गुज़र गयी मेरी
यहाँ आते आते"

.

ज़िंदगी का लम्हा
बहुत छोटा सा है...
कल की
कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल
सिर्फ सपने में ही है..
अब
बच गए
इस पल में..
तमन्नाओं से भरे
इस जिंदगी में
हम सिर्फ भाग रहे हैं.
कुछ रफ़्तार
धीमी करो,
और
इस ज़िंदगी को जियो
खूब जियो ............ ।।
.....................






बुधवार, 1 जून 2016

SANT KABIR DAS JI KE INSPIRATIONAL DOHE IN HINDI : WITH MEANING


दोहा:- हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी  मरे, मरम न जाना कोई।

अर्थ : कबीर दास जी कहते है कि हिन्दुओं को राम प्यारा है और मुसलमानों  को रहमान| इसी बात पर वे आपस में झगड़ते रहते है लेकिन सच्चाई को नहीं जान पाते |

दोहा:- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगो कब |

अर्थ:- कबीर दास जी कहते हैं कि जो कल करना है उसे आज करो और जो आज करना है उसे अभी करो| जीवन बहुत छोटा होता है अगर पल भर में समाप्त हो गया तो बाद मे क्या करोगे|

दोहा:- धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय                                                                                                माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय|

अर्थ:- कबीर दास जी कहते है कि हमेशा धैर्य से काम लेना चाहिए| अगर माली एक दिन में सौ घड़े भी सींच लेगा तो भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेंगे|

दोहा:- निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय
                        बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय|

अर्थ:- कबीर जी कहते है कि निंदा करने वाले व्यक्तियों को अपने पास रखना चाहिए क्योंकि ऐसे व्यक्ति बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को स्वच्छ कर देते है|

दोहा:- माँगन मरण समान है, मति माँगो कोई भीख
                        माँगन ते मारना भला, यह सतगुरु की सीख|

अर्थ:- कबीरदास जी कहते कि माँगना मरने के समान है इसलिए कभी भी किसी से कुछ मत मांगो|

दोहा:- साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय                                                                                        मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय|


अर्थ:- कबीर दास जी कहते कि हे परमात्मा तुम मुझे केवल इतना दीजिये  कि जिसमे मेरे परिवार का गुजारा चल जाये| मैं भी भूखा न रहूँ और अतिथि भी भूखा वापस न जाए|

दोहा:- दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय

                          जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय|

अर्थ:- कबीर कहते कि सुख में भगवान को कोई याद नहीं करता लेकिन दुःख में सभी भगवान से प्रार्थना करते है| अगर सुख में भगवान को याद किया जाये तो दुःख क्यों होगा|

 दोहा:- तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय
                         कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।

अर्थ:- कबीर दास जी कहते है कभी भी पैर में आने वाले तिनके की भी निंदा नहीं करनी चाहिए क्योंकिं अगर वही तिनका आँख में चला जाए तो बहुत पीड़ा होगी|

दोहा:- साधू भूखा भाव का, धन का भूखा नाहिं

                      धन का भूखा जी फिरै, सो तो साधू नाहिं।

अर्थ:- कबीर दास जी कहते कि साधू हमेशा करुणा,धन और प्रेम  का भूखा होता और कभी भी धन का भूखा नहीं होता| और जो धन का भूखा होता है वह साधू नहीं हो सकता|

दोहा:- माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,

                          कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।

अर्थ:- कबीर जी कहते है कि कुछ लोग वर्षों तक हाथ में लेकर माला फेरते है लेकिन उनका मन नहीं बदलता अर्थात् उनका मन वास्तविकता , सत्य और प्रेम की ओर नहीं जाता| ऐसे व्यक्तियों को माला छोड़कर अपने मन को बदलने का प्रयास करना चाहिए और और जीवन को सच्चाई के रास्ते पर ले जाना चाहिये। 

दोहा:- जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय

                       यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय।

अर्थ:- कबीर दास जी कहते है अगर हमारा मन शीतल है तो इस संसार में हमारा कोई बैरी नहीं हो सकता| अगर अहंकार छोड़ दें तो हर कोई हम पर दया और प्रेम करने को तैयार हो जाता है|

दोहा:- जैसा भोजन खाइये , तैसा ही मन होय

                     जैसा पानी पीजिये, तैसी वाणी होय।

अर्थ:- कबीर दास जी कहते है कि हम जैसा भोजन करते है वैसा ही हमारा मन हो जाता है और हम जैसा पानी पीते है वैसी ही हमारी वाणी हो जाती है|




शनिवार, 28 मई 2016

DAUGHTERS: BESTEST GIFT EVER

      DAUGHTERS : BESTEST GIFT EVER

बेटियाँ : अनमोल धन 




बाबुल की लाडली  बिटियाँ रानी ,बाबुल की जान जिसमें बसती है,बाबुल की शान होती है बेटी.
माँ के कलेजे का टुकड़ा ,उसकी परछाई होती है बेटी। सबसे ज़्यादा भाईयो से लड़ती है बहना। पर अगर उसके भाई पर कोई ऊँगली भी उठा दे तो उसका पूरा बदला लेकर भाई की रक्षा करती है बहना ।सबसे ज़्यादा फसांती भी वही है और सबसे ज्यादा बचाती भी वही है।
वही घर पर हमेशा छोटी छोटी बातों पर भी झगड़ जाती है भाई से.  सबसे ज़्यादा डांट भी यहीं खाती  है.. जब इनकी कोई शिकायत करदे तो अपना मुंह फुला लेती है ये बेटी। पर कुछ भी कहो सबकी लाड़ली होती है. इनके बिना घर सुना सुना सा लगता है. इनकी चहल पहल से ,इनकी किलकारियों से,इनकी शरारतों से पूरा घर महकता रहता है। .तभी तो कहते है बिटियाँ  बिना स्वर्ग अधूरा। 


सबके दुखो को दूर करती है ,सभी की चिंता होती है इन्हे. सबकी ख़ुशी के  लिए कभी कभी अपनी खुशियां भी न्यौछावर कर देती है.. 
भाई को आंच तक न आये यही मंगलकामनयो के साथ राखी  त्यौहार और भाई दूज बनाती है।  दुआ करती है उनकी उम्र भी  उनके  भाई को लग  जाए। .
 माँ -बाप की चिंता सबसे ज़्यादा इन्हें ही  सताती है तभी खुद की शादी से दूर भागती  है बेटियाँ। .
 जब भी सुनती है अपनी विदाई के  लिए तो आँखों से आँसुओ की गंगा बहाना  शुरू कर देती है। .
और कहती है मुझे नहीं करनी अभी शादी ,,अभी मेरी उम्र ही क्या है. पहले भाई की शादी कर दो. बस मुंह फुला कर  चली जाती है.  और सबपर गुस्सा दिखाती है. 
माँ का ये कहना की कुछ काम करना सिख ले आगे ससुराल मे  जाकर क्या करेगी। .तब भी गुस्से से झल्ला कर कहती है नौकरानी रख लेंगे ससुराल वाले। 
कभी कभी भाइयों से खुद की तुलना करती है ये बेटियाँ 

.



विदाई के वक़्त  :---.


आता है जब विदाई का वक़्त तो होठ सिल जाते है इनके, बस बहते है तो सिर्फ आँसू. 
. यहीं कहते है  क्यों करते हो मुझे पराया बाबुल। .मैं तो इसी आँगन में  खेली हू.
..मेरा सारा बचपन यही बिता है। .क्यों आगे की ज़िन्दगी यहाँ नहीं बिता सकती। .
क्यों बनाया ऐसा रिवाज़ पापा। क्यों कर रहे हो अपनी लाड़ली को खुद यहाँ से पराया। 
  

सोचती हूँ आज कितना अजीब मंजर है. 
छोड़ कर जाना मुझे अपना ही ये घर है. 
अब आना होगा अपने ही घर मे  मेहमान बनकर 
कुछ पलों मे वापिस लौट जाने के  लिए।

वो भाई जो हमेशा मुझसे लड़ते थे ,आज उनकी भी नज़रे झुकी और आँख नाम है. 
कहते थे जो काश जाये तू जल्दी घर से,आज क्यों इतना  रो रहे हो ,किस बात का डर है 




" मेरी माँ जो हमेशा मेरी शादी की बात करती थी. ,आज आँखों के साथ साथ रोती  उसकी हर धड़कन है "
         पापा जो कभी बहुत डांटते थे ,काफ़ी पाबंदिया लगाते थे, आज झुका उनका भी  सर है. 




 ख़ुशी या ग़म :-----

सबकी बाते कह दी  मैंने पर मेरा क्या हाल था ये किसी ने न जाना 
सोच कर  ख़ुश हूँ  ,आज पूरा हुआ मेरी शादी का अरमान है  
एक तरफ ख़ुशी तो  , एक तरफ ग़म का फ़रमान  हैं  ''
कल ससुराल चली जाऊँगी ,फिर सबकों बहुत याद आऊंगी 
बहन -भाइयों से मिलने ,उनके साथ झगड़ने  को तरस जाऊँगी 
सुबह की चाय तेरे हाथ का खाना  बहुत याद आएगा माँ 
पापा का प्यार से गले लगाना बहुत सताएगा माँ ॥ 

छोड़ कर अपना सारा बचपन अपनी सखी सहेलियाँ ,अपनी सारी  यादें चली ''




छोड़ बाबुल का घर, पिया का  घर बसाने चली 
एक सफ़र हुआ खत्म ,दूसरा सफ़र शुरू करने चली !!
जो हुए है मेरे हमसफ़र ,अब साथ उनके बिताने अपनी पूरी ज़िन्दगी चली 
अब उनका घर ही मेरा घर होगा, इस सोच के  साथ घर अपना छोड़ चली !!
लाख समझाया दिल को मैंने ,पर मायके का मोह अभी तक न छूटा 
क्यों बेटियाँ ही होती है परायी ,क्यों ऐसी रीत ख़ुदा तूने बनायीं |













सोमवार, 28 मार्च 2016

HOME REMEDY: YOU CAN FIND IN YOUR KITCHEN

   5 HOME REMEDIES YOU CAN FIND IN YOUR KITCHEN


1.GINGER


Ginger can improve blood flow and reduce inflammation in your muscles, including those in the uterus where cramps originate.



2. CUCUMBER 


 Refresh your eyes:
Cucumber slices perfectly fit to the contours of your eyes to help reduce swelling,You'll only need to leave them on for 10 minutes for fresher-looking eyes.




3. ALOE VERA


Reduces Acne And Helps Lighten Blemishes:
The aloe gel can work wonders on your skin by reducing acne and clearing the blemishes and scars that get left behind.



4. TOMATO 


High Blood Pressure:                                                                                                                                 Tomatoes, with a powerful punch of minerals and nutrients also help in safeguarding our body from High Blood Pressure and High Cholesterol.


5. TURMERIC 


Signs Of Ageing:                                                                                                                                                 Being an excellent exfoliating agent, turmeric can help eliminate the signs of ageing. You can make a paste by mixing besan (gram flour) and turmeric powder in equal proportions with water. This paste can also be prepared in raw milk or even yoghurt. Apply it evenly on your body and allow it to dry. Rinse off with lukewarm water and scrub your face gently in a circular motion.





WORLD BEST LIFE PARTNER

          I LOVE YOU A LOT MY DEAR ,LOVING and MOST CARING HUBBY


I love you lot shona
. I am who I am because of you. You are every reason, every hope, and every dream I've ever had, and no matter what happens to us in the future, everyday we are together is the greatest day of my life. I will always be yours.

I love you and that's the beginning and end of everything.Sometimes, it's hard to find words to tell you how much you mean to me. A lot of times, I don't say anything at all. But I hope someday, you'll understand, having you is what I live for.

I seem to have loved you in numberless forms, numberless times, in life after life, in age after age forever.Within you, I lose myself. Without you, I find myself wanting to be lost again.

My love for you has no depth, its boundaries are ever-expanding. My love and my life with you will be a never-ending story.
You give me hope in my times of trial, joy in my saddest hours and love in all I do.

Thanx for being My Life Partner .




शुक्रवार, 18 मार्च 2016

HAPPINESS

 (HAPPINESS)ख़ुशियाँ  : बदलता अर्थ  
खुशियाँ, आज की सदी मे जिसका मतलब ही बदल गया। सभी की खुशियों की अपनी अलग अलग भाषा है। जिसके पास जितनी सुविधाएं है वो उतना ही खुश है पर आज की दौड़ भाग वाली ज़िन्दगी मे सभी लोग ज़ीना  भुल गए है। सिर्फ एक दूसरे से आगे निकलने की चाह ने सभी दोस्तों को ,एक साथ मिलकर मनाये जाने वाले त्योहारों को ,अपने परिवार और बच्चों के साथ छुटियाँ मनाने को ,माँ -बाप के साथ थोड़ा सा भी वक़्त बिताने को और  यहाँ तक खुद के लिए  भी वक़्त ना होने जैसे परिवर्तन कर दिए है। 
सभी लोग हँसना जैसे भुल ही गए है। 


सभी की ज़िन्दगी मे जैसे एक अधूरापन है। क्यूंकि किसी के भी पास भी ंखुलकर मुस्कुराने  का वक़्त नहीं हैं।
 कोई परेशान है की वो अपनी और अपने परिवार की जरुरतो को पूरा नहीं कर पा रहा ,अपने सपनों को उड़ान नहीं दे पा रहा। 
क्यूँकि पैसा आपके लिए खुशियाँ नहीं खरीद सकता लेकिन वो दुःख को कुछ सुखद रूप में अनुभव करा सकता है. 
वही कोई इसलिए परेशान है की उसके पास सब होने के बाद भी परिवार के लिए ज़रा सा भी वक़्त नहीं है। मानो ऐसा लगता है जैसे की सभी यहाँ कोई परीक्षा की तैयारी मे लगे हुए है जिसके कारण उनके पास औरो के लिए वक़्त नहीं है। मिलना जुलना तो बहुत दूर खैर खबर तक पुछने का वक़्त नहीं है। आजकल के वक़्त मे लोग मैसेजेस में ही  हाल -चाल पूछ लेते है। 
कुछ लोग इतने मतलबी होते है की जब उन्हें सामने वाले से कोई काम याद आता है वो वो  तभी महफ़िल मे आते है। समझ नही आता ऐसा करने  वाले लोग कहा से वक्त निकाल लेते है। 
सही मायने मे ये दुनिया अब मतलबी लोगों से भर गयी है। मतलब के साथ ही वक्त निकलता है दूसरे से मिलने का,वर्ना ज़माना निकल जाता है याद करने मे भी.
एक समय था जब त्योहारों की अलग़ ही धूम होती थी , महीनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती थी,  क्यूंकि तब त्योहारों को ,परिवार के साथ को महत्त्व दिया जाता था, एक ये वक़्त जहां  त्यौहार सिर्फ़ एक फॉर्मेलिटी रह गए है। क्योंकि सबकी सोच बदल गयी है। 


 'याद  रखिये  ख़ुशी  इस  बात  पर  निर्भर  नहीं  करती  कि  आप  कौन  हैं  या  आपके  पास  क्या  है ; ये  पूरी  तरह  से  इस  बात  पर  निर्भर  करती  है  कि  आप  क्या  सोचते  हैं. प्रसन्नता  हम  पर  ही  निर्भर  करती  है। यदि  आपकी  ख़ुशी इस  बात  पर  निर्भर  करती  है  कि   कोई  और  क्या  करता  है  तो  मेरा  मानना है  की  आपको  कोई  समस्या  है। जो  चाहा वो  मिल  जाना  सफलता  है वैसे ही जो  मिला  उसको  चाहना भी  प्रसन्नता  है..
 जब  महत्त्वाकांक्षाएं  ख़त्म   होती  हैं  , तब  ख़ुशी  शुरू  होती  है। 
जब ये बात सब समझ जायेंगे तब वो ज़ीना सीख़ जायेंगे। खुशियों का असली मतलब भी समझ जायंगे।